हवन करने के लिए पंडित जी समय नहीं दे पा रहे हैं तो परेशान न हों यह ऐप डाउनलोड करे और हवन करें !!
त्वोहारों पर हवन करने का विशेष महत्व है अत: अगर आप घर पर ही सरल रीति से हवन करना चाहते है तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। हम आपके लिए लेकर आए हैं आसान तरीके हवन करने की विधि।
हवन अथवा यज्ञ भारतीय परंपरा अथवा हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है हवन करने के लिए क्या-2 चीज़ की आवश्यकता होती है जाने इस ऐप से !!
हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की आहुति प्रमुख होती है।
पूजन एवं हवन विधि
आचमन: निम्न मंत्र पढ़ते हुए तीन बार आचमन करें |
‘ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम: |
फिर यह मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें | ॐ हृषीकेशाय नम: |
तिलक : सभी लोग तिलक करें |
ॐ चंदनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनानम |
आपदां हरते नित्यं लक्ष्मी: तिष्ठति सर्वदा ||
रक्षासूत्र (मौली) बंधन : हाथ में मौली बाँध लें | ( सिर्फ पहले दिन )
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: |
तेन त्वां प्रतिबंध्नामि रक्षे मा चल मा चल ||
दीप पूजन : दीपक जला लें |
दीपो ज्योति: परं ब्रम्ह दीपो ज्योति: जनार्दन: |
दीपो हरतु में पापं दीपज्योति: नमोऽस्तु ते ||
गुरुपूजन : हाथ जोडकर गुरुदेव का ध्यान करें |
गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु:.... सद्गुरुं तं नमामि ||
बापूजी को तिलक करें | पुष्प व तुलसीदल चढायें | धुप व दीप दिखायें | नैवेध्य (प्रसाद) चढायें |
गणेशजी व माँ सरस्वतीजी का स्मरण :
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||
कलश पूजन : हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कलश में ‘ॐ’ वं वरुणाय नम:’ कहते हुए वरुण देवता का तथा निम्न श्लोक पढ़ते हुए तीर्थों का आवाहन करेंगे –
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति |
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु ||
(अक्षत –पुष्प कलश के सामने चढ़ा दें | )
कलश को तिलक करें | पुष्प, बिल्वपत्र व दूर्वा चढायें | धुप व दीप दिखायें | प्रसाद चढायें |
संकल्प : हाथ में जल, अक्षत व पुष्प लेकर संकल्प करें |
नोट : हाथ में लिए जल को देखते हुये ऐसी भावना करें कि जैसे जल व्यापक हैं, ऐसे ही हमारा संकल्प भी व्यापक हो | संकल्प करने के पहले, मध्य में एवं अंत में भगवान विष्णु (वसुदेव) को समर्पित करने की भावना करते हुये तीन बार भगवान के ‘विष्णु’ नाम का उच्चारण करें | (सभी को बुलवाना है | ) ‘ॐ विष्णु: विष्णु: विष्णु:’
आज पवित्र .... मास के कृष्ण / शुक्लपक्ष की .... तिथि को ......वार के दिन मैं पूज्य बापूजी के स्वास्थ्य व दीर्घायु / चिरंजीवी होने के लिए महामृत्युंजय मंत्र, तथा पूज्य बापूजी के ऊपर आयी आपदा के निवारणार्थ तथा अधिक-से-अधिक सुप्रचार के लिए ‘ॐ ह्रीं ॐ’ मंत्र, न्यायिक प्रक्रिया में विजय पाने के हेतु पवन तनय बल पवन समाना | बुधि बिबेक बिग्यान निधाना || मंत्र तथा दैवी शक्तियों की वृद्धि और आसुरी शक्तियों के शमन के लिए नवार्ण मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्ये...|’ के हवन का संकल्प करता हूँ | ॐ.... ॐ .... ॐ ....
हाथ में लिया हुआ द्रव्य पात्र में छोड़ दें |
महामृत्युंजय मंत्र विनियोग : हाथ में जल लेकर विनियोग करें | (सभी को बुलवाना है | )
ॐ अस्य श्री महामृत्युंजय मंत्रस्य वशिष्ठ ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, श्री महामृत्युंजय रुद्रो देवता, हौं बीजं, जूं शक्ति:, स: कीलकं श्री आशारामजी सद्गुरुदेवस्य आयु: आरोग्य: यश: कीर्ति: तथा पुष्टि: वृद्धि अर्थे जपे तथा हवने विनियोग: |
हाथ में रखें हुए जल को पात्र में छोड़ दें |
नोट : ७ दिन के सविधि सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र अनुष्ठान में कुल १४०० माला होती है (प्रतिदिन २०० माला ) | ५० व्यक्ति के हिसाब से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन ४ माला जप करें | (व्यक्तियों की संख्या के अनुसार माला की संख्या निर्धारित कर सकते है |)
मंत्र : ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात || ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ ||
अग्नि स्थापन : अग्नि प्रज्वलित करके अग्निदेव को प्रणाम करें | ॐ पावकान्गयें नम: | इसके बाद
ॐ गं गणपतये स्वाहा | (३ आहुतियाँ )
ॐ सूर्यादि नवग्रहेभ्यों देवेभ्यों स्वाहा | ( १ आहुति )
फिर इन मंत्रो से हवन करें –
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात || ( १ माला )
ॐ ह्रीं ॐ – ( ५ माला )
पवन तनय बल पवन समाना | बुधि बिबेक बिग्यान निधाना || ( २७ बार )
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